Menu
blogid : 9507 postid : 35

प्रभु कृपा के दर्शन

devotionalthoughts
devotionalthoughts
  • 13 Posts
  • 2 Comments

हमें कभी कभी ऐसा लगता है कि प्रभु कृपा तो इतिहास के भक्त चरित्र जैसे श्री सुदामाजी, श्री नरसीजी, भगवती द्रौपदी, भगवती मीराबाई, श्री प्रह्रलादजी, श्री ध्रुवजी, श्री गजेन्द्र जी के ही जीवन में देखने को मिलती है

मैं दृढता से मानता हूँ कि इन भक्त श्रेष्ठों के जीवन तो प्रभु कृपा से ओत प्रोत रहे ही हैं पर वर्तमान के कलियुग के दोषों से भरपूर साधारण मनुष्यों पर भी प्रभु कृपा निरंतर बरसती है क्योंकि

1 जैसे श्रीसूर्यनारायण प्रभु पूरे विश्व के एक-एक कोने को प्रकाशित करते हैं, प्रकाश से कोई भी अछूता नहीं है, वैसे ही प्रभु कृपा से भी कोई भी जीव अछूता नहीं है ( यह हमारी कमजोरी है कि उस कृपा के हम दर्शन नहीं कर पाते और और उस कृपा को अपनी स्वार्जित उपलब्धि या भाग्य मान कर जीवन में अपनी सामर्थ्य का अंहकार ले आते हैं और अपना पतन करवा लेते हैं ) ।

2 प्रभु तो अमावस्या की काली रात में कोयले की खान में भी चलने वाली काली नन्हीं चींटी को भी देखते हैं, उसकी पुकार भी सुनते हैं और उस पर कृपा बरसाते हैं । काली रात ( अमावस्या की ) में काली जगह ( कोयले की खान में ) काले प्राणी ( नन्हीं चींटी ) को देखने और उसकी मदद करने का सामर्थ्य प्रभु के अलावा क्या है किसी में ?

प्रभु कृपा तो कलियुग के दोषों से भरपूर साधारण मनुष्यों पर आज भी होती ही रहती है पर हमें उसके दर्शन करने की कला नहीं आती । प्रभु अनुकम्पा से जिन्हें यह कला आती हो, वे अपने जीवन में प्रभु कृपा के दर्शन के अपने अनुभव हमें भेज सकते हैं kripa.devotionalthoughts@gmail.com पर ।

चार बातें कहना चाहूँगा –

पहली बात, हमारे जीवन की हर अनुकूलता प्रभु कृपा ही तो है । हमारे जीवन की हर प्रतिकूलता, जिसका हमने सामना किया, वह प्रभु कृपा के बल के कारण ही तो किया । प्रभु कृपा न होती तो प्रतिकूलता हमारे लिए असहनीय हो जाती ।

दूसरी बात, जितना हम अपने जीवन में घटी घटना को प्रभु कृपा से जोड़कर देखना सीखेंगे, उतना ही हमें जीवन में प्रभु कृपा के दर्शन होने लगेंगे । जीवन में प्रभु कृपा का जैसे जैसे दर्शन बढ़ता जायेगा, वैसे वैसे हम प्रभु के समीप पहूँचते चले जायेंगे ।

तीसरी बात, जब हम किसी घटना में प्रभु कृपा देखना सीख लेते हैं तो हमारे अंहकार का क्षय होता है क्योंकि अब तक उस घटना को हम अपनी बुद्धिबल, धनबल, शक्तिबल, कुटुम्ब–समाज बल से जोड कर देख रहे थे । उदाहरण स्वरूप हमें प्रधानमंत्री सहायता कोष से सहयोग के तौर पर एक बड़ी रकम का चैक डाकिये ने पत्र रूप में लाकर दिया । तो क्या हम डाकिये को उस सहायता का श्रेय देते हैं ? नहीं, हम मात्र उसे डाक पहूँचाने के लिए साधारण सा धन्यवाद देते हैं, पर सच्ची कृतज्ञता रकम भेजने वाले के प्रति होती है । क्योंकि हमें पता है की डाकिया तो मात्र माघ्यम बना है, पर सहयोग भेजने वाला तो कोई दूसरा है । पर हम जीवन में अक्सर इतनी बड़ी भूल कर जाते हैं की जीवन में सभी तरह के और हर समय सहयोग भेजने वाले महाप्रभु के कृपा के दर्शन करने से हम चूक जाते हैं और प्रभु द्वारा सहायता पहूँचाने के लिए निमित / माध्यम बने पात्र को हम असली सहयोगी मान बैठते हैं । यह तो ठीक वैसे ही हुआ जैसे हम डाकिये को अपने बांहो में भर कर उसके प्रति कृतज्ञता माने और रकम भेजने वाले को एक छोटा सा औपचारिक धन्यवाद देकर इतिश्री कर लें । होना उलटा चाहिए, माध्यम बाने व्यक्ति को छोटा सा औपचारिक धन्यवाद और भेजने वाले प्रभु के प्रति ह्रदय की गहराई से कृतज्ञता ज्ञापन ।

किसी भी उपलब्धि को जब तक हम अपने बुद्धिबल, धनबल, शक्तिबल, कुटुम्ब–समाज बल से जोड़कर देखेंगे, उतना ही हमारा अंहकार पनपेगा । जीवन की किसी भी उपलब्धि को प्रभु से जोड़कर देखेंगे तो तुरंत हमारे अंहकार का क्षय होने लगेगा । जितना-जितना जीवन में अंहकार का क्षय होता चला जायेगा, हम प्रभु के उतने-उतने करीब पहूँचते चले जायेंगे ।

चौथी बात, जितना-जितना हम प्रभु कृपा के दर्शन करना अपने जीवन में बढ़ाते चले जायेंगे, उतना-उतना प्रभु के लिए आस्था और भक्ति बढ़ती चली जायेगी ।

इसलिए आपका स्वागत है अपने और अपने परिवार के सदस्यों पर हुये प्रभु कृपा के अनुभव बाँटने के लिए । दूसरों को प्रभु कृपा के दर्शन करवाने पर आपको आन्तरिक शान्ति मिलेगी, ऐसा करने पर स्वंय के अंहकार का क्षय होगा । दूसरों के लिए, आपकी बात प्रेरणा बनेगी और वे भी अपने जीवन में प्रभु कृपा के दर्शन का एंव प्रभु कृपा को अर्जित करने का प्रयास करेंगे । इससे सबका भला ही भला होगा । क्योंकि जो भी जैसे भी प्रभु से जुडता है, उसका भला होना उसी समय सुनिश्चित हो जाता है ।

प्रभु से जुडने के इस प्रयास में अपना अनुभव बांटकर यथाचित सबको प्रेरणा देंवे –

(क) किसी बिमारी, दुर्घटना, आपदा – विपदा एंव अन्य प्रतिकूलता के वक्त प्रभु द्वारा भेजे मदद को याद कर उसमें प्रभु कृपा के दर्शन करवाते हुये अपना संस्म‍रण हमें भेजें ।

(ख) ऐसे ही अनुकूलता के वक्त, आपके प्रयासों से बहुत ज्यादा, आपकी अपेक्षा से अधिक प्रभु से मिलने पर अपने प्रभु कृपा के दर्शन किये हो तो अपना संस्म‍रण हमें भेजें ।

(ग) कभी आपके मन में प्रभु ने प्रेरणा जाग्रत करके, आपको निमित बनाकर, प्रभु ने आपके माध्यम से किसी को सहयोग भेजा हो, तो प्रभु प्रेरणा के दर्शन करवाते हुये अपना संस्म‍रण हमें भेजें ।

एक ही परमपिता परमेश्वर के अंश होने के कारण, सभी धर्मो के लोगों का अपने जीवन में घटित प्रभु कृपा के अनुभव बाँटने हेतु इस मंच पर स्वागत है । आप हमें हिन्दी अथवा अंग्रजी, दोनों में से किसी भी भाषा में अपना अनुभव भेज सकते हैं ।  kripa.devotionalthoughts@gmail.com

।। श्री कृष्णं वन्दे जगद्‌गुरूम्‌ ।।

_____________________________________________________________________________________________________

लेखक परिचय: परम सांत्वना केवल प्रभु के प्रति भक्ति से ही आती है | संदीप आर करवा पेननाम चंद्रशेखर के तहत प्रभु के प्रति समर्पण पर लेख लिखते हैं |  लेखक की वेबसाइट http://devotionalthoughts.inमें दर्ज विचार आपको सर्वशक्तिमान ईश्वर के करीब ले जाएगा |

Tags:                                                

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply